जब से देखा तुम्हे मुरली वाले,
दिल हमारा तो बस में नहीं हैं।
अपने जलवे की मत पुँछो हमसे जलवाँ कोई तेरा कम नहीं है॥
रोज सजते हो तुम नित नवेले,
रूप तेरा सुहाना बनाया।
जो सजाते हैं तुमको कन्हैया,
वो भी आशिक तेरे कम नहीं हैं।
मोर पंखो का मुकुट सजा है,
अंग पीला पीताम्बर पड़ा है।
होंठ सजाती है प्यारी मुरलिया
शान उसकी भी कुछ कम नहीं हैं।
तुम हो कान्हा तो वो राधा प्यारी,
संग में दोनों की जोड़ी निराली।
ऐसा लगता है मुझको कन्हैया
राधा भी तुमसे ज्यादा सजी हैं॥
जिसने देखी तुम्हारी ये चितवन,
वो तो बेहोश पागल हुए हैं।
उनसे नजरें मिला लो कन्हैया
भक्त तेरे भी कम नहीं हैं....॥
दिल हमारा तो बस में नहीं हैं।
अपने जलवे की मत पुँछो हमसे जलवाँ कोई तेरा कम नहीं है॥
रोज सजते हो तुम नित नवेले,
रूप तेरा सुहाना बनाया।
जो सजाते हैं तुमको कन्हैया,
वो भी आशिक तेरे कम नहीं हैं।
मोर पंखो का मुकुट सजा है,
अंग पीला पीताम्बर पड़ा है।
होंठ सजाती है प्यारी मुरलिया
शान उसकी भी कुछ कम नहीं हैं।
तुम हो कान्हा तो वो राधा प्यारी,
संग में दोनों की जोड़ी निराली।
ऐसा लगता है मुझको कन्हैया
राधा भी तुमसे ज्यादा सजी हैं॥
जिसने देखी तुम्हारी ये चितवन,
वो तो बेहोश पागल हुए हैं।
उनसे नजरें मिला लो कन्हैया
भक्त तेरे भी कम नहीं हैं....॥
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